कच्चातिवु द्वीप रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित 285 एकड़ के छेत्र मे एक हरा-भरा द्वीप है, ये द्वीप 1976 तक तो भारत का था लेकिन साल 1974-76 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमती श्रीमावो भंडारनायके के साथ समुद्री सीमा को लेकर एक समझौता किया था। इस समझौते के अंतर्गत RTI के समक्ष katchatheevu island sri lanka को सोंप दिया। तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के. अन्नामलाई द्वारा द्वीप को लेकर एक RTI आवेदन पत्र जारी किया था, जिसका जवाब सामने आने के बाद हड़कंप मच गया ओर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा रविवार के दिन किए गए अपने ट्वीट में इसके बारे मे कुछ लिखा था।
PM नरेंद्र मोदी अपने ट्वीट के जरिए क्या बोले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने katchatheevu island sri lanka द्वीप पर सामने आई एक रिपोर्ट को लेकर कॉंग्रेस ओर विपक्षी दलों को घेरते हुए जोरदार हमला बोल है। PM नरेंद्र मोदी ने शोसल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट साझा की है, इस रिपोर्ट के तथ्यों से पता चलता है की किस तरह कॉंग्रेस ने बेरहमी से कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को सोंप दिया। नरेंद्र मोदी का कहना है की इस द्वीप के पास अगर गलती से मछवारे चले जाते है तो उनको गिरफ्तार कर लिया जाता है साथ ही कॉंग्रेस के विपक्ष मे कहा की जो सरकार बेरहमी से अपना द्वीप श्रीलंका को सोंप सकती है तो इस पर नरेंद्र मोदी का सवाल, क्या ऐसी कॉंग्रेस सरकार देश की रक्षा कर सकती है?
नरेंद्र मोदी द्वारा इस सुझाव के बाद डॉ. एस. जयशंकर ने बताया की श्रीलंका को गिफ्ट देने वाली इंदिरा गांधी ओर कच्चातिवु द्वीप को गैर जरूरी बताने'वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू दोनों ही कच्चातिवु द्वीप को भारत के हाथ से जाने के जीमेदार है।
आखिर क्या है कच्चातिवु द्वीप का इतिहास
कच्चातिवु द्वीप रामेश्वरम और श्रीलंक जो पौने तीन सौ एकड़ मे फेला हुआ है। कच्चातिवु द्वीप का निर्माण ज्वालामुखी के बिसफोट के कारण 14वीं शताब्दी के लगभग हुआ था। ब्रिटिश के शासनकाल में यह द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के कब्जे मे आ गया, ये द्वीप 17वीं शताब्दी में मदुरई शहर के राजा रामानद के पास था। देश के आजाद होने के बाद इसे भारत का हिस्सा मान लिया गया, लेकिन 1974 मे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ओर जवाहर नेहरू ने इसे गैर जरूरी बताकर श्रीलंका को सोंप दिया, फिलहाल अभी इसको लेकर विवाद चल रहा है।